ताल -मात्रा -लय विवरण
ताल .....भरत मुनि नें संगीत में काल के नापने के साधन को 'ताल ' कहा है । जिस प्रकार भाषा में व्याकरण की आवश्यकता होती है उसी प्रकार संगीत में ताल की आवश्यकता होती है ।
ताल शब्द 'तल'धातु से बना है । संगीत रत्नाकर के अनुसार, जिसमें गीत ,वाद्य और नृत्य प्रतिष्ठित होते हैं वह ताल है । प्रतिष्ठा का अर्थ होता है....व्यवस्थित करना ,आधार देना या स्थिरता प्रदान करना । तबला ,पखावज इत्यादि ताल-वाद्यों से जब गाने के समय को नापा जाता है ,तो एक विशेष प्रकार का आनंद प्राप्त होता है व वास्तव में ताल संगीत की जान है ,ताल पर ही संगीत की इमारत खडी हुई है ।
शुभा मेहता
6th ,Jan ,2025
तुमने ताल को बहुत अच्छे से समझाया! सच कहूँ तो ताल संगीत की धड़कन है। बिना ताल के तो सबसे प्यारा सुर भी अधूरा लगता है। तुम्हारी भाषा-व्याकरण वाली तुलना कमाल की लगी, एकदम समझ में आ गई। जब भी मैं तबले या पखावज की अच्छी थाप सुनता हूँ, तो पूरा गाना जैसे ज़िंदा हो उठता है।
ReplyDeleteबहुत -बहुत धन्यवाद
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