ताल -मात्रा -लय विवरण
ताल .....भरत मुनि नें संगीत में काल के नापने के साधन को 'ताल ' कहा है । जिस प्रकार भाषा में व्याकरण की आवश्यकता होती है उसी प्रकार संगीत में ताल की आवश्यकता होती है । ताल शब्द 'तल'धातु से बना है । संगीत रत्नाकर के अनुसार, जिसमें गीत ,वाद्य और नृत्य प्रतिष्ठित होते हैं वह ताल है । प्रतिष्ठा का अर्थ होता है....व्यवस्थित करना ,आधार देना या स्थिरता प्रदान करना । तबला ,पखावज इत्यादि ताल-वाद्यों से जब गाने के समय को नापा जाता है ,तो एक विशेष प्रकार का आनंद प्राप्त होता है व वास्तव में ताल संगीत की जान है ,ताल पर ही संगीत की इमारत खडी हुई है । शुभा मेहता 6th ,Jan ,2025