वादी ,संवादी, अनुवाद और विवादी

राग के नियमों में वादी ,संवादी आदि स्वरों का भी महत्वपूर्ण यह स्थान होता है ।
 वादी स्वर को राजा के समान, संवादी स्वर को मंत्री के समान, विवादी स्वर  को बैरी के समान और अनुवादी स्वर को सेवक के समान समझना चाहिए। 
वादी स्वर.....राग में लगने वाले स्वरों में जिस स्वर पर सबसे अधिक जोर रहता है ,अथवा जिसका प्रयोग बार-बार   किया जाता है ,उसे राग  का वादी स्वर कहते हैं ।
संवादी स्वर....यह वादी स्वर का सहायक होता है ,तभी शास्त्रों नें इसे मंत्री की पदवी दी है । यह वादी स्वर से कम तथा अन्य स्वरों से अधिक प्रयुक्त होता है । वादी स्वर के चौथे या पाँचवे नम्बर पर संवादी स्वर होता है ।
अनुवादी.....वादी और संवादी के अतिरिक्त जो नियमित स्वर राग  में लगते हैं वे सब अनुवादी स्वर कहलाते हैं ।
विवादी  स्वर...विवादी का वास्तविक अर्थ होता है ..बिगाड पैदा करने वाला अर्थात ऐसा स्वर जिससे राग का स्वरूप बिगड जाए । लेकिन कुशल गायक कभी-कभी विवादी स्वर का प्रयोग राग इतनी सुन्दरता से करते हैं कि राग का सौंदर्य बढ जाता है ।

शुभा मेहता 
17th Oct ,2024 

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