रागों के लक्षण

प्राचीन ग्रंथों में रागों के तीन भेद बताए गए हैं --
1...शुद्ध 
2...छायालग 
3..संकीर्ण 
1...जिस राग में अन्य किसी राग के स्वर लगनें पर भी उसकी छाया न पडनें पाए ,उसे" शुद्ध राग "कहते है ।
2...दो रागों के मेल से अथवा किसी एक राग  में अन्य किसी राग  के स्वर आ जानें से दूसरे राग की जो छाया दिखाई  दे जाती है ,ऐसे राग  को" छायालग राग" कहते हैं ।
3..जिस राग  में दो रागों से अधिक रागों का मिश्रण या मिलावट हो ,उसे" संकीर्ण राग" कहते हैं ।
रागों के आधुनिक दस लक्षण......... जिस प्रकार प्राचीन विद्वान जातियों के दस लक्षण मानते हैं ,उसी प्रकार आज भी रागों के दस लक्षण मानें जाते हैं । ये दस लक्षण क्रमानुसार ठाठ ,आरोह-अवरोह, जाति ,वादी -संवादी स्वर, पकड ,न्यास के स्वर, पूर्वागं या उत्तरांग की प्रधानता, गान समय ,आविर्भाव-तिरोभाव  और राग  का रस है ।

शुभा मेहता 
14th Oct, 2024




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