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राग

ध्वनि की उस विशिष्ट रचना को ,जिसमें स्वर तथा वर्णों के कारण सौंदर्य हो ,जो मनुष्य के चित्त का रंजन करे ,अर्थात जो श्रोताओं के मन को प्रसन्न करे ,बुद्धिमान लोग उसे राग कहते हैं ।    राग  में निम्नलिखित बातों का होना जरूरी है.....   1...राग किसी थाट से उत्पन्न होना चाहिए।    2... ध्वनि की एक विशेष रचना हो ।    3..उसमें स्वर तथा वर्ण हों ।    4...रंजकता यानि सुंदरता हो ।     5.. राग  में कम से कम पाँच स्वर अवश्य होनें चाहिए।        6...राग में एक स्वर के दो रूप पास-पास लेनें का शास्त्रकारों नें विरोध किया है ।   7....राग  में आरोह तथा अवरोह का होना आवश्यक  है क्योंकि इनके बिना राग का रूप पहचाना नहीं जा सकता । 8.... किसी भी राग में षडज स्वर वर्जित नहीं होता । 9...मध्यम और पंचम ,ये दो स्वर एक साथ तथा एक ही समय कभी भी वर्जित नहीं होते । 10...राग  में वादी संवादी स्वर अवश्य रहते हैं । इन स्वरों पर ही विशेष जोर रहता है । शुभा मेहता  13th Sep,2024   

अलंकार

कुछ नियमित वर्ण समुदायों को अलंकार कहते हैं । अलंकार का अर्थ है ..'.आभूषण ' या' गहना ' । जिस प्रकार  आभूषण शारीरिक शोभा बढाते हैं ,उसी प्रकार अलंकारों के द्वारा गायन की शोभा बढ जाती है ।  जैसे चन्द्र के बिना रात ,जल के बिना नदी ,फूलों के बिना लता तथा आभूषणों के बिना स्त्री शोभा नहीं पाती,उसी प्रकार अलंकार बिना गीत भी शोभा को प्राप्त नहीं होते ।  अलंकार  को पलटा भी कहते हैं । गायन  सीखने से पहले विद्यार्थियों को अलंकार सिखाए  जाते हैं क्योंकि इसके बिना न तो अच्छा स्वर ज्ञान ही होता है और न ही आगे संगीत कला में सफलता ही मिलती है ।  अलंकारों से राग विस्तार  में भी काफी सहायता मिलती है ।   अलंकारों के द्वारा राग  की सजावट करके उसमें चार -चाँद लगाए जा सकते हैं । तानें इत्यादि भी अलंकारों के आधार पर ही बनती हैं । अलंकार वर्ण समुदायों में ही होते हैं । उदाहरण के लिए 'सा रे ग सा ' इसमें आरोही -अवरोही दोनों वर्ण  आ गए । यह एक सीढी मान लीजिए अब इसी आधार पर आगे बढिए और पिछला स्वर छोड़कर आगे का स्वर बढाते जाइए..रे ग म रे ,यह दूसरी सीढी हुई...