संगीत का स्वर पक्ष
गीतं ,वाद्यं तथा नृत्यं त्रयं संगीतमुच्यते। ।
-- संगीत रत्नाकर
गीत ,वाद्य और नृत्य ये तीनों मिलकर संगीत कहलाते हैं ।
वास्तव में ये तीनों कलाएं एक -दूसरे से स्वतंत्र हैं ,किंतु स्वतंत्र होते हुए भी गान के अधीन वादन और वादन के अधीन नृत्य है ।
' संगीत ' शब्द गीत शब्द में 'सम 'उपसर्ग लगाकर बना है।
सम_ यानी सहित और गीत यानी गान । गान के सहित अर्थात अंगभूत क्रियाओं व वादन के साथ किया हुआ कार्य 'संगीत 'कहलाता है ।
स्वर क्या है? ..
ध्वनियों में हम प्रायः दो भेद रखते हैं,जिनमें एक को स्वर और दूसरे को कोलाहल कहते हैं ।
जब कोई ध्वनि नियमित और आवर्त कंपन से मिलकर उत्पन्न होती है ,तो उसे स्वर कहते हैं । इसके विपरीत जब कंपन अनियमित हों तो उस ध्वनि को कोलाहल कहते हैं ।
बोलचाल की भाषा को इन दोनों के बीच की श्रेणी में रखा जाता है । संक्षेप में कहें तो नियमित आंदोलन संख्यावाली ध्वनि स्वर कहलाती है ,यही ध्वनि संगीत के काम में आती है ,जो कानों को मधुर लगती है तथा चित्त को प्रसन्न करती है इस ध्वनि को संगीत की भाषा में 'नाद'कहते हैं । संगीत उपयोगी नाद 'स्वर 'कहलाता है ।
शुभा मेहता 3rd Aug ,2024
गहन विषम चर्चा.. स्वर संगीत, उत्पत्ति के कारण अद्भुत जानकारी..
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद रितु जी
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