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संगीत -साधना

संगीत एक साधना है ,ध्यानावस्था है ।  संसार के कण-कण में संगीत व्याप्त है  ।   संगीत में प्रगति एक दिन में नहीं होती ,उम्र गुजर जाती है । हर दिन किया गया रियाज़ आपको आगे बढने में मदद करता है ।    आजकल कई अभिभावक जब अपनें बच्चों को लेकर आते हैं संगीत सिखानें के लिए ,उनका पहला प्रश्न होता है ..कितनें दिन में सीख जाएगें ,सुनकर हँसी भी आती है और रोना भी ....। संगीत सीखना कोई दौड़ नही,वरन एक लंबी यात्रा है जो जीवन के अंत तक करो तो भी कम है । संगीत तो एक आत्मिक साधना है जो मनुष्य को उसके ही भीतर पहुँचा देती है । शुभा मेहता 

संगीत और स्वास्थ्य

संगीत के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए कई फायदे हैं। यह तनाव और चिंता को कम करता है, मूड को बेहतर बनाता है, और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। यह याददाश्त, ध्यान और व्यायाम के प्रदर्शन को भी बेहतर बना सकता है।  मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव तनाव और चिंता कम करना: शांत संगीत सुनने से तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर कम हो सकता है, जिससे आप अधिक आराम महसूस करते हैं। मूड बेहतर करना: संगीत सुनने से प्रसन्नता के हार्मोन का उत्पादन  बढ़ जाता  है और  ये अवसाद के लक्षणों को कम करने में मदद करता है । भावनात्मक अभिव्यक्ति: गीत लिखने या संगीत बनाने जैसी गतिविधियाँ भावनाओं को व्यक्त करने का एक प्रभावी तरीका हैं, जिससे आनंद और संतुष्टि मिलती है। संज्ञानात्मक कार्य को बढ़ाना: संगीत सुनने और वाद्य यंत्र बजाने से याददाश्त, ध्यान और समस्या-समाधान की क्षमता में सुधार हो सकता है।  शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव हृदय स्वास्थ्य: धीमा, लयबद्ध संगीत रक्तचाप को कम कर सकता है और हृदय गति परिवर्तनशीलता (HRV) को बढ़ा सकता है, जो एक स्वस्थ हृदय प्रणाली का संकेत है। दर्द कम करना: संग...

ताल में सम ,खाली और भरी का स्थान

   सम ......यह ताल  का वह स्थान  है ,जहाँ से गाना -बजाना शुरू होता है । गायक -वादक ऐसे स्थान  पर संगति करते हुए  जब मिलते हैं ,तो एक विशेष प्रकार का आनंद आता है और श्रोताओ के मुँह से अनायास ही वाह निकल  जाता है । ' सम ' पर गायक -वादक विशेष जोर देकर उसे प्रदर्शित करते हैं । प्राय: सम पर ही गाने -बजाने की समाप्ति भी होती है । सम को न्यास भी कहते हैं ।   खाली ...प्रत्येक ताल के कुछ हिस्से होते हैं ,जिन्हे भाग भी कहते हैं । इन भागों पर जहाँ हाथ  से तालियाँ बजाई जाती है,वो भरी कहलाती है और जिन भागों पर ताली बंद रहती है ,वे खाली कहलाती है । ताल में खाली भाग इसलिए रखने पडते हैं कि इससे सम आनें का अंदाज  ठीक लग जाता है। खाली के स्थान का संकेत हाथ फेंककर किया जाता है ।  भागेंगे स्टर्लिंग पद्धति में इस स्थान को सिफर चिन्ह (0)  द्वारा दिखाते हैं । भरी .....ताल के जिन हिस्सों पर तालियाँ बजाई जाती हैं,उन्हें 'भरी' या तालियों के स्थान कहते हैं भरी ताल को थाप द्वारा दिखाया जाता है । शुभा मेहता  13th June, 2025

ठेका

तबला या मृदंग के लिए प्राचीन शास्त्रकारों नें भिन्न-भिन्न बोल वैसी ही भाषा में बना दिए, जैसी उन ताल वाद्यों से प्रकट होती है । उन बोलों को जब हम तबला या मृदंग पर बजाते हैं,तब उसे ठेका कहते हैं ।ठेका एक ही आवृति का होता है,जिसमें मात्राएं निश्चित होती हैं ।      उन्हीं निश्चित मात्राओं के अनुसार गानें -बजानें का नाप होता है ;जैसे कहरवा ताल में आठ मात्राएं होती हैंऔर इसके दो भाग हैं ।प्रत्येक भाग में चार-चार मात्राएं होती हैं । पहली मात्रा पर सम और पाँचवी पर खाली है इसे इस प्रकार से लिखा जाएगा ..... मात्राएं-     1   2   3   4    :   5   6   7   8  ठेका--      धा  गे   न   ति   :   न  क   धिं   ना  ताल चिन्ह  ×                   :    0   यह कहरवा ताल का ठेका हुआ।    दुगुन --- किसी ठेके को जब दुगुनी लय मे...

लय के प्रकार

1...विलंबित लय....जिस लय की चाल बहुत  धीमी हो ,उसे विलंबित लय कहते हैं । विलंबित लय का अंदाज, मध्य  लय से यों लगाया जाता है-- मान लीजिए, एक मिनट  में आपनें एक -सी चाल से साठ तक गिनती गिनी ,तो उसे अपनी मध्य लय मान लीजिए।  इसके बाद इसी एक मिनट  में समान चाल  से तीस तक गिनती गिनी ,तो विलंबित लय करेगें अर्थात तीस तक जो गिनती गिनी गई, उसकी लय साठ वाली गिनती  से आधी हो गई । 2....मध्य लय....जिस लय की चाल  विलंबित से तेज और द्रुत से कम  हो ,उसे मध्य लय कहते हैं। यह लय बीच की होती है।मध्य का अर्थ है ...बीच । 3....द्रुत लय ....जिस लय की चाल विलंबित लय से चौगुनी या मध्य लय से दुगुनी हो ,उसे द्रुत लय करेगें ।एक मिनट में समान चाल से साठ तक गिनती गिन कर मध्य लय कायम की गई है ।अब यदि एक मिनट में एक सौ बीस तक गिनती गिनी जाएगी ,तो निश्चय ही गिनती की चाल  तेज हो जाएगी। द्रुत का अर्थ है ....तेज । शुभा मेहता  13th,February, 2025

मात्रा

तालों में उनकी लम्बाई स्पष्ट करनें वाली इकाई को "मात्रा" कहते हैं ।मात्रा ताल का ही एक  हिस्सा है ,क्योंकि मात्राओं के योग से ही समस्त तालों की रचना हुई  है । एक -सी लय या चाल में गिनती गिनने को मात्रा कह सकते हैं ।यदि घड़ी की एक सेकंड को हम एक मात्रा मान लें ,तो सोलह सेकंड में तीन ताल का ठेका बन जाएगा ,बारह सेकंड  में एकताल का ठेका बन जाएगा और दस सेकंड  में झपताल का ठेका बन जाएगा । लय.....ताल में एक क्रिया से दूसरी क्रिया के बीच की विश्रांति का काल ,जो पहली क्रिया का विस्तार है ,"लय" कहलाता है ।  मुख्य लय तीन प्रकार की होती हैं ......  1..विलंबित लय  2.....मध्य लय  3...द्रुत लय ..    

ताल -मात्रा -लय विवरण

ताल .....भरत मुनि नें संगीत में काल के नापने के साधन को 'ताल ' कहा है । जिस प्रकार भाषा में व्याकरण की आवश्यकता होती है उसी प्रकार संगीत में ताल की आवश्यकता होती है ।   ताल शब्द 'तल'धातु से बना है । संगीत रत्नाकर के अनुसार, जिसमें गीत ,वाद्य और नृत्य प्रतिष्ठित होते हैं वह ताल  है । प्रतिष्ठा का अर्थ होता है....व्यवस्थित करना ,आधार देना या स्थिरता प्रदान करना । तबला ,पखावज इत्यादि ताल-वाद्यों से जब गाने के समय को नापा जाता है ,तो एक विशेष प्रकार का आनंद प्राप्त होता है व वास्तव में ताल संगीत की जान है ,ताल पर ही संगीत  की इमारत खडी हुई है ।      शुभा मेहता    6th ,Jan ,2025