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रागों का समय विभाजन

उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में रागों का प्रयोग काल दिन और रात के चौबीस घंटों के दो भाग करके बाँटा गया है । पहला भाग बारह बजे दिन से बारह बजे रात्रि तक और दूसरा भाग बारह बजे रात्रि से बारह बजे दिन तक माना जाता है ।   पहले भाग  को पूर्व भाग और दूसरे भाग को उत्तर भाग कहते हैं । पूर्व राग ......जो राग दिन के बारह बजे से रात्रि के बारह बजे तक गाए -बजाए जाते हैं उन्हें पूर्व राग कहते हैं । उत्तर राग.....जो राग रात्रि के बारह बजे से दिन के बारह बजे तक गाए -बजाए जाते हैं ,उन्हें उत्तर राग कहते हैं । सप्तक के सात शुद्ध स्वरों में तार सप्तक का सां मिलाकर आठ की संख्या ली जाए और फिर इसके दो हिस्से कर दिए जाए तो 'सा,रे ,ग, म 'यह सप्तक का पूर्वांग हुआ और 'प,ध,नी,सां'यह सप्तक का उत्तरांग हुआ।  पूर्वांग वादी राग  ...जिन रागों का वादी स्वर सप्तक के पूर्वांग में होता है वो पूर्वांग वादी राग कहलाते हैं । उत्तरांग वादी राग...जिन रागों का वादी स्वर सप्तक के उत्तरांग में होता है वो उत्तरांग वादी राग कहलाते हैं । शुभा मेहता  17th ,Nov ,2024